Top 10 similar words or synonyms for idealism

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Top 30 analogous words or synonyms for idealism

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जार्ज बर्कली जार्ज बर्कली (George Berkeley ; /ˈbɑrklɵɪ/; १६८५-१७५३) एक अंग्रेज-आयरी दार्शनिक थे जिन्होने 'इम्मैटेरिअलिज्म' (immaterialism) का सिद्धान्त दिया जिसे बाद में आत्मनिष्ठ आदर्शवाद (subjective idealism) कहा गया।
रोशडेल पायनियर्स 21. 'Hence the members of this new group had a significant amount of experience in cooperation and related reform-minded efforts, and, despite all the hardship described above, were probably driven more by idealism than by hunger'.— Johnston Birchall, Co-op: The People’s Business pp.-42
दृष्टिवाद दृष्टिवाद (Immaterialism या Subjective Idealism), पदार्थवाद का अस्वीकार है। पदार्थवाद के अनुसार ज्ञान का विषय ज्ञाता से स्वाधीन अस्तित्व रखता है और होने या न होने से उसकी स्थिति में कोई भेद नहीं पड़ता। दृष्टिवाद एक रूप में, प्रृकति के स्वतंत्र अस्तित्व से इनकार करता है; दूसरे रूप में, कहता है कि ज्ञात होने से ही इसका रंग रूप बदल जाता है और हमारे लिए संभव नहीं कि बाहरी सत्ता को उसके वास्तविक रूप में देख सकें। पश्चिमी दर्शन में जार्ज बर्कले और कांट दोनों इस धारणा के समर्थक हैं।
हेगेल का दर्शन हेगेल का दर्शन निरपेक्ष प्रत्ययवाद या चिद्वाद (Absolute Idealism) अथवा वस्तुगत चैतन्यवाद (Objective Idealism) कहलाता है; क्योंकि उनके मत में आत्मा-अनात्मा, द्रष्टा-दृश्य, एवं प्रकृति-पुरुष सभी पदार्थ एक ही निरपेक्ष ज्ञानस्वरूप परम तत्व या सत् की विभिन्न अभिव्यक्तियाँ हैं। उनके अनुसार विश्व न तो अचेतन प्रकृति या पुद्गलों का परिणाम है और न किसी परिच्छिन्न व्यक्ति के मन का ही खेल। जड़-चेतन-गुण-दोष-मय समस्त संसार में एक ही असीम, अनादि एवं अनंत चेतन तत्व, जिसे हम परब्रह्म कह सकते हैं, ओतप्रोत है। उससे पृथक् किसी भी पदार्थ की सत्ता नहीं। वह निरपेक्ष चिद् या परब्रह्म ही अपने आपकी अपनी ही स्वाभाविक क्रिया से विविध वस्तुओं या नैसर्गिक घटनाओं के रूप में सतत प्रकट करता रहता है। उसे अपने से पृथक् किसी अन्य साधन या सामग्री की आवश्यकता नहीं। हेगेल के अनुसार पुद्गलात्मक विश्व और हमारे तन, परस्पर भिन्न होने पर भी, एक ही निरपेक्ष सक्रिय परब्रह्म की अभिव्यक्तियाँ होने के नाते एक दूसरे से घनिष्ठतापूर्वक संबंधित एवं अवियोज्य हैं। हेगेल के विचार में संसार का सारा ही विकसात्मक क्रियाकलाप सक्रिय ब्रह्म का ही क्रियाकलाप है। क्या जड़ क्या चेतन, सभी पदार्थ और प्राणी उसी एक निरपेक्ष विद्रूप सत् के सीमित या परिच्छिन्न व्यक्त रूप हैं। जड़ीभूत प्रकृति, प्राणयुक्त वनस्पतिजगत्, चेतन पशुपक्षी तथा स्वचेतन मनुष्यों के रूप में वही एक परब्रह्म अपने आपको क्रमश: अभिव्यक्त करता हैं और उसकी अबतक की अभिव्यक्तियों में आत्मसंवित्तियुक्त मानव ही सर्वोच्च अभिव्यक्ति है, जिसके दार्शनिक, धार्मिक तथा कलात्मक उत्तरोत्तर उत्कर्ष के द्वारा ब्रह्म के ही निजी प्रयोजन की पूर्ति होती है। दूसरे शब्दों में, ब्रह्म अपने आपको विश्व के विविध पदार्थों के रूप में प्रकट करके ही अपना विकास करता है।
आदर्शवाद विचारवाद या आदर्शवाद या प्रत्ययवाद (Idealism ; Ideal= विचार या प्रत्यय) उन विचारों और मान्यताओं की समेकित विचारधारा है जिनके अनुसार इस जगत की समस्त वस्तुएं विचार (Idea) या चेतना (Consciousness) की अभिव्यक्ति है। सृष्टि का सारतत्त्व जड़ पदार्थ (Matter) नहीं अपितु चेतना है। आदर्शवाद जड़ता या भौतिकवाद का विपरीत रूप प्रस्तुत करता है। यह आत्मिक-अभौतिक के प्राथमिक होने तथा भौतिक के द्वितीयक होने के सिद्धांत को अपना आधार बनाता है, जो उसे देश-काल में जगत की परिमितता और जगत की ईश्वर द्वारा रचना के विषय में धर्म के जड़सूत्रों के निकट पहुँचाता है। आदर्शवाद चेतना को प्रकृति से अलग करके देखता है, जिसके फलस्वरूप वह मानव चेतना और संज्ञान की प्रक्रिया को अनिवार्यतः रहस्यमय बनाता है और अक्सर संशयवाद तथा अज्ञेयवाद की तरफ बढ़ने लगता है।